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पारंपरिक कोर्स में रोजगारपरक विषयों का समावेश: सत्र 2025-26 से नया कदम, अब पढ़ाई के साथ पाएं रोजगार के अवसर

हरियाणा राज्य शिक्षा परिषद ने सत्र 2025-26 से छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके अंतर्गत पारंपरिक कोर्स में रोजगारपरक विषयों को शामिल किया जाएगा। इसके लिए राज्य शिक्षा परिषद ने 24 रोजगारपरक विषयों की सूची तैयार की है, जो विभिन्न महाविद्यालयों में पारंपरिक कोर्स के अतिरिक्त छात्रों को पढ़ाए जाएंगे।

इस पहल का उद्देश्य न केवल छात्रों को अधिक कुशल बनाना है, बल्कि उन्हें रोजगार के लिए अधिक तैयार करना भी है। इन विषयों के अध्ययन के बाद छात्रों को डिग्री के साथ-साथ रोजगारपरक प्रमाण-पत्र भी प्रदान किए जाएंगे, जिससे उनकी नौकरी पाने की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।

रोजगारपरक कोर्स का महत्व और उद्देश्य

वर्तमान समय में पारंपरिक कोर्स के बावजूद अधिकतर छात्र रोजगार प्राप्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं। अनेक छात्र अपनी पसंदीदा नौकरी पाने के लिए अतिरिक्त कौशल की आवश्यकता अनुभव करते हैं। हरियाणा राज्य में देखा गया कि छात्रों का झुकाव पारंपरिक विषयों की बजाय रोजगारपरक कोर्स की ओर बढ़ रहा है।

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इसका एक कारण यह है कि पारंपरिक शिक्षा पूरी करने के बाद भी, बेरोजगारी एक चुनौती बनी हुई है। इसी समस्या को हल करने के लिए राज्य शिक्षा परिषद ने पारंपरिक कोर्स के साथ रोजगारपरक विषयों का समावेश किया है ताकि छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ कार्यक्षेत्र की भी तैयारी मिले।

कॉलेज स्तर पर प्रमाण-पत्र देने की व्यवस्था

रोजगारपरक कोर्सों को सभी महाविद्यालयों में लागू करने के लिए परिषद ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन विषयों का अध्ययन करने वाले छात्रों को संबंधित कॉलेज द्वारा ही प्रमाण-पत्र प्रदान किए जाएंगे, जिससे उन्हें नौकरी के अवसरों में लाभ प्राप्त हो सके।

यह प्रमाण-पत्र छात्रों के लिए उनके डिग्री से अधिक उपयोगी साबित हो सकते हैं, विशेषकर तब, जब वे किसी विशेष कार्यक्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं। इसके साथ ही, रोजगारपरक कोर्सों की फीस भी महाविद्यालय द्वारा निर्धारित की जाएगी।

पीजी कॉलेज में रोजगारपरक विषयों का समावेश

राज्य के पीजी कॉलेज में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर कई विषयों को रोजगारपरक रूप में शामिल किया जा सकता है। इसमें अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, इतिहास, कंप्यूटर, खेल एवं शारीरिक शिक्षा, गणित, प्राणी विज्ञान, भूगोल, भौतिक विज्ञान, राजनीति शास्त्र, रसायन विज्ञान, वनस्पति शास्त्र, वाणिज्य, संस्कृत, समाजशास्त्र, और हिंदी जैसे विषय शामिल हो सकते हैं। कॉलेज इन विषयों के आधार पर छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा प्रदान करेंगे, जिससे उनकी व्यावहारिक क्षमता का विकास हो सके।

भविष्य की योजना

शिक्षा परिषद द्वारा तैयार की गई सूची में से विषयों का चयन करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी, और संभावना है कि जनवरी 2025 से रोजगारपरक विषयों की कक्षाएं भी शुरू कर दी जाएंगी।

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इस कदम के तहत, छात्रों को पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ उनके पसंदीदा करियर विकल्प में सफलता प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। यह योजना न केवल छात्रों को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाने का एक प्रयास है, बल्कि उनकी आर्थिक सुरक्षा की दिशा में भी एक मजबूत कदम है।

निष्कर्ष

हरियाणा राज्य शिक्षा परिषद का यह कदम सराहनीय है, जिससे छात्रों को पारंपरिक शिक्षा के साथ रोजगारपरक शिक्षा का लाभ मिल सकेगा। डिग्री के साथ-साथ रोजगारपरक विषयों के अध्ययन और उनके प्रमाण-पत्र से छात्रों को नौकरी प्राप्त करने में अधिक सहूलियत होगी। इस तरह के प्रयास से न केवल युवाओं को बेहतर करियर के अवसर प्राप्त होंगे, बल्कि राज्य में रोजगार दर में भी सुधार होगा।

Ankita Devi इस ब्लॉग के Author है जो पिछले 3 साल से Career Counselling & Guidance Platform पर काम कर रही है। उसकी करियर परिप्रेक्ष्य विभिन्न कोर्स के क्षेत्र के में अच्छी पकड़ हैं जिससे वह अपने पाठकों को इससे सम्बंधित जानकारी देने में सक्षम है।

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