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UPRTOU New Course 2025: UPRTOU में महाकुंभ और गीता अध्ययन पर विशेष सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत

उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय (UPRTOU) जनवरी 2025 से एक अनूठा सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने जा रहा है, जो महाकुंभ और गीता अध्ययन पर आधारित है। यह कोर्स धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है और विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी साबित होगा जो भारतीय संस्कृति और गीता के गूढ़ सिद्धांतों में रुचि रखते हैं।

इस कोर्स के जरिए विद्यार्थियों को कुंभ मेले की ऐतिहासिक और धार्मिक प्रासंगिकता के साथ-साथ गीता की शिक्षाओं का गहन ज्ञान प्रदान किया जाएगा।

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UPRTOU New Course 2025: संरचना और उद्देश्य

UPRTOU के कुलपति प्रो. सत्यकाम ने बताया कि छह महीने के इस सर्टिफिकेट कोर्स का उद्देश्य शिक्षार्थियों को भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, और गीता के नैतिक सिद्धांतों की समझ देना है।

कोर्स के माध्यम से प्रतिभागियों को न केवल गीता के अध्यात्मिक और नैतिक सिद्धांतों का अध्ययन करने का अवसर मिलेगा, बल्कि वे व्यक्तिगत विकास और समाज में सकारात्मक भूमिका निभाने के महत्व को भी समझ पाएंगे।

इस सर्टिफिकेट कोर्स में विशेषकर कुंभ मेले की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक प्रासंगिकता पर जोर दिया जाएगा। कुंभ मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु विभिन्न जगहों से आते हैं, ऐसे में कोर्स के प्रशिक्षित लोग मार्गदर्शक के रूप में भी कार्य कर सकेंगे।

इस कोर्स के माध्यम से विद्यार्थियों को भीड़ प्रबंधन, लोक कथाओं और अन्य धार्मिक पहलुओं के अध्ययन का भी मौका मिलेगा, जो उन्हें पर्यटन और भारतीय संस्कृति के क्षेत्र में करियर बनाने में मदद करेगा।

रोजगार के नए अवसर

यह सर्टिफिकेट कोर्स न केवल भारतीय संस्कृति के प्रति गहरी समझ पैदा करेगा, बल्कि इससे विद्यार्थियों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे। खासकर, पर्यटन, अध्यात्मिक परामर्श, और भारतीय संस्कृति से जुड़े क्षेत्रों में करियर बनाने के इच्छुक लोगों के लिए यह कोर्स अत्यंत उपयोगी साबित हो सकता है।

आज के समय में धार्मिक पर्यटन एक तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है। धार्मिक स्थानों पर स्थानीय लोगों की मार्गदर्शन की भूमिका में भारी मांग है, खासकर ऐसे मार्गदर्शक जो केवल जगह की जानकारी देने के अलावा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समझ रखते हों।

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UPRTOU का यह कोर्स विद्यार्थियों को इस तरह प्रशिक्षित करेगा कि वे महाकुंभ और गीता अध्ययन से प्राप्त ज्ञान को मार्गदर्शन में ढाल सकें और अपने करियर में इसे एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में शामिल कर सकें।

कोर्स की अध्ययन सामग्री और शुल्क

कोर्स में नामांकित छात्रों को ऑनलाइन अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी, जिसे वे स्वयं प्रिंट कर सकते हैं। अगर कोई छात्र मुद्रित अध्ययन सामग्री चाहता है, तो उसे अतिरिक्त शुल्क देकर यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

यह विशेष सर्टिफिकेट कोर्स जनवरी 2025 से शुरू होने जा रहा है, जिसमें दाखिला बहुत ही न्यूनतम शुल्क पर मिलेगा। इससे यह स्पष्ट होता है कि UPRTOU का यह कोर्स सभी आर्थिक पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों के लिए सुलभ और किफायती बनाया गया है।

पाठ्यक्रम का महत्व

महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है, और यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। इस मेले में भारत और विदेशों से करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। इस कोर्स के माध्यम से प्रतिभागियों को न केवल महाकुंभ के धार्मिक महत्व को समझने का मौका मिलेगा, बल्कि वे गीता के उन गूढ़ सिद्धांतों से भी परिचित हो पाएंगे जो व्यक्ति के आंतरिक विकास और सामाजिक सहभागिता को बढ़ावा देते हैं।

गीता का अध्ययन न केवल व्यक्तिगत आत्म-साक्षात्कार की यात्रा में सहायक होता है बल्कि यह जीवन में नैतिक मूल्यों और मानसिक शांति को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होता है। इस कोर्स में गीता के अध्यायों का विश्लेषण किया जाएगा ताकि विद्यार्थियों को इसके गहरे अर्थों को समझने का अवसर मिल सके।

व्यावहारिक अनुभव और लाभ

UPRTOU के इस कोर्स का सबसे बड़ा लाभ यह है कि महाकुंभ के दौरान यह कोर्स प्रारंभ हो रहा है। इस प्रकार, कोर्स के पहले बैच के विद्यार्थियों को महाकुंभ में प्रायोगिक तौर पर अपने अध्ययन को वास्तविक अनुभव में बदलने का अवसर मिलेगा।

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इस तरह के व्यावहारिक अनुभव से छात्रों को धार्मिक आयोजन और भीड़ प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं का अनुभव प्राप्त होगा, जो उनके करियर के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

निष्कर्ष

UPRTOU का महाकुंभ और गीता अध्ययन पर सर्टिफिकेट कोर्स भारतीय संस्कृति, धर्म और अध्यात्म की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कोर्स न केवल छात्रों को भारतीय संस्कृति और गीता के गूढ़ सिद्धांतों से जोड़ता है, बल्कि उन्हें धार्मिक पर्यटन और अध्यात्मिक मार्गदर्शन के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए भी सशक्त बनाता है।

जनवरी 2025 से शुरू होने वाला यह कोर्स विद्यार्थियों को कुंभ के महात्म्य, गीता के नैतिक सिद्धांतों और भारतीय संस्कृति के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के प्रति एक गहरी समझ विकसित करने में मदद करेगा।

इस कोर्स में दाखिला लेने से छात्रों को न केवल एक प्रमाणपत्र प्राप्त होगा, बल्कि वे भारतीय संस्कृति के समृद्ध ज्ञान और नैतिक सिद्धांतों को भी आत्मसात कर सकेंगे, जो उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में अत्यधिक उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

Ankita Devi इस ब्लॉग के Author है जो पिछले 3 साल से Career Counselling & Guidance Platform पर काम कर रही है। उसकी करियर परिप्रेक्ष्य विभिन्न कोर्स के क्षेत्र के में अच्छी पकड़ हैं जिससे वह अपने पाठकों को इससे सम्बंधित जानकारी देने में सक्षम है।

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