शिक्षा सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एक राज्य सरकार ने कक्षा 1 में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु सीमा को बढ़ा दिया है। पहले यह आयु सीमा 5 वर्ष थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया है। यह निर्णय बच्चों की मानसिक और बौद्धिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है ताकि वे शिक्षा के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकें। राज्य के शिक्षा मंत्री ने खुद इस बदलाव की जानकारी दी। यह फैसला न केवल प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाएगा, बल्कि बच्चों की समग्र शैक्षणिक यात्रा को भी अधिक प्रभावी बनाएगा।
शिक्षा के लिए सही उम्र में प्रवेश क्यों है ज़रूरी?
शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने बताया कि विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है कि 6 वर्ष की आयु के बाद बच्चे बेहतर रूप से शिक्षा के लिए तैयार होते हैं। इसी वजह से दुनिया के कई विकसित देशों में कक्षा 1 में प्रवेश की न्यूनतम आयु 6 वर्ष या उससे अधिक निर्धारित की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि केरल में परंपरागत रूप से अभिभावक अपने बच्चों को 5 साल की उम्र में स्कूल भेजते थे, लेकिन अब यह ट्रेंड बदल रहा है। वर्तमान में 50% से अधिक बच्चे 6 वर्ष की उम्र में स्कूल में प्रवेश ले रहे हैं और इस बदलाव को और अधिक प्रोत्साहित किया जाएगा।
2026-27 से लागू होगा नया नियम
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि कक्षा 1 में प्रवेश के लिए संशोधित आयु सीमा 2026-27 शैक्षणिक सत्र से प्रभावी होगी। इसका मतलब है कि इस बदलाव से प्रभावित होने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप कदम
गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में भी कक्षा 1 में प्रवेश के लिए 6 वर्ष की आयु निर्धारित की गई है। केरल सरकार का यह निर्णय NEP 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप है, जो प्रारंभिक शिक्षा को और अधिक वैज्ञानिक व प्रभावी बनाने पर ज़ोर देती है।
अभिभावकों और शिक्षाविदों की प्रतिक्रिया
इस फैसले पर अभिभावकों और शिक्षाविदों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ लोगों का मानना है कि यह कदम बच्चों की समग्र बौद्धिक और सामाजिक विकास के लिए आवश्यक है, जबकि कुछ अभिभावक इसे एक अतिरिक्त वर्ष के रूप में देख रहे हैं, जिससे उनके बच्चे एक साल देर से स्कूलिंग शुरू करेंगे। हालांकि, शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव बच्चों की शिक्षा और मानसिक विकास के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा।
राज्य में शिक्षा व्यवस्था में और क्या बदलाव हो सकते हैं?
शिक्षा मंत्री ने इस अवसर पर यह भी संकेत दिया कि राज्य सरकार शिक्षा क्षेत्र में और भी बदलावों की योजना बना रही है, जिससे स्कूली शिक्षा को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके। भविष्य में प्रारंभिक कक्षाओं के पाठ्यक्रम को और अधिक रोचक तथा वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित सिद्धांतों पर आधारित बनाने के लिए भी प्रयास किए जा सकते हैं।