सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के स्तर को बेहतर बनाने और छात्रों को वार्षिक परीक्षाओं में अधिकतम अंक दिलाने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने एक नई और प्रभावशाली योजना बनाई है। इस योजना के तहत, सभी स्कूलों को वित्तीय वर्ष के दौरान वार्षिक परीक्षा से पहले तक का पूरा सिलेबस हर हाल में खत्म करने का निर्देश दिया गया है।
इसके साथ ही उन बच्चों के लिए विशेष 100 दिन का क्रैश कोर्स (शॉर्ट टर्म सिलेबस) चलाया जाएगा, जिनकी पढ़ाई किसी भी कारण से अधूरी रह गई है। यह कदम विशेष रूप से कम उपस्थिति वाले और कमजोर बच्चों के लिए लाभकारी साबित होगा।
कमजोर और कम उपस्थिति वाले छात्रों को विशेष लाभ
शिक्षा विभाग, बिहार के मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, इस क्रैश कोर्स का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर बच्चे को पाठ और अध्याय को समझने का पूरा मौका मिले। इसके लिए प्रारंभिक स्कूलों में हर दिन दो घंटे की विशेष कक्षाओं का संचालन होगा।
- पहली घंटी: गणित और आधारभूत गणित की पढ़ाई कराई जाएगी। यह कमजोर छात्रों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होगा, ताकि उनकी गणना क्षमता मजबूत हो सके।
- दूसरी घंटी: रीडिंग क्लास आयोजित होगी, जिसमें बच्चों को धाराप्रवाह हिंदी पढ़ने और सही उच्चारण करने का अभ्यास कराया जाएगा। इससे बच्चों की पढ़ने की गति और समझने की क्षमता में सुधार होगा।
सभी बच्चों को इस क्रैश कोर्स में शामिल होना अनिवार्य है, और प्रधानाध्यापकों को इस योजना को प्रभावी रूप से लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है।
साप्ताहिक टेस्ट से होगी प्रगति की जांच
इस क्रैश कोर्स के प्रभाव को सुनिश्चित करने के लिए हर सोमवार को बच्चों का टेस्ट लिया जाएगा। इस टेस्ट के लिए प्रश्न पत्र उनके वर्ग शिक्षक तैयार करेंगे। टेस्ट का मुख्य उद्देश्य यह देखना होगा कि बच्चों ने बीते सप्ताह में कितना सीखा और उनमें सुधार की कितनी गुंजाइश है।
- टेस्ट के बाद प्रधानाध्यापक बच्चों की प्रगति की समीक्षा करेंगे और आवश्यक होने पर शेड्यूल में बदलाव करेंगे।
- छात्रों को टेस्ट के बाद होमवर्क भी दिया जाएगा, जिसे हर हाल में पूरा कराना और जांचना वर्ग शिक्षक की जिम्मेदारी होगी।
योजना का व्यापक प्रभाव
यह योजना केवल एक क्रैश कोर्स तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों के समग्र शैक्षणिक विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। गणित और हिंदी जैसी मुख्य विषयों पर विशेष ध्यान देने से बच्चों की बुनियादी शिक्षा में सुधार होगा। साथ ही, नियमित टेस्ट और होमवर्क से बच्चों में पढ़ाई की आदत विकसित होगी।
निष्कर्ष
शिक्षा विभाग की यह नई योजना बच्चों की पढ़ाई में मदद करने के साथ-साथ उनका आत्मविश्वास भी बढ़ाएगी। यह योजना प्राथमिक स्कूलों में लागू की जाएगी, जिससे बच्चों के सीखने के स्तर में सुधार होगा। यह कदम देश की शिक्षा में एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव ला सकता है।